kanchan singla

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मुक्त या ऋणी

मुक्त या ऋणी

मैं मुक्त हूं उन बंधनों से,
जिनमे कभी बंधी नहीं।।
मैं मुक्त हूं उस लम्हें से,
जिसे मैं कभी जी सकी नहीं।।
मैं मुक्त हूं उस मैं और तुम से,
जिसका हिस्सा मैं कभी बनी नहीं।।
मैं मुक्त हूं उन बुराइयों से,
जिन्हें दूसरो में देख, खुद में उतार पाई नहीं ।।
मैं मुक्त हूं उन झूठी मुस्कानों से,
जिसे दिखा कर कभी गम छुपा पाई नहीं ।।
हां मुक्त हूं मैं, हां मुक्त हूं मैं ।।

पर कहां मुक्त हो पाई मैं
है, एक ऋण मुझ पर जिसे
चुका पाना संभव नहीं है
ना इस जन्म, ना उस जन्म
माता पिता के ऋण को भी
भला कोई चुका पाया है 
आज तक इस संसार में...??

मैं मुक्त नहीं ऋणी हूं
हां ऋणी हूं मैं, हां ऋणी हूं मैं ।।

लेखिका - कंचन सिंगला

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8 Comments

Swati chourasia

25-Nov-2021 07:27 AM

Very beautiful 👌

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kanchan singla

25-Nov-2021 08:00 PM

Thanku 💛

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Niraj Pandey

25-Nov-2021 12:06 AM

बहुत खूब

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kanchan singla

25-Nov-2021 06:54 AM

शुक्रिया💛

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Zakirhusain Abbas Chougule

24-Nov-2021 11:29 PM

Nice

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kanchan singla

25-Nov-2021 06:55 AM

शुक्रिया 💛

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